1. मकर संक्रान्ति हिंदुओं का एक प्रसिद्द त्यौहार है।
2. यह भारत के कई हिस्सों में और भी कुछ अन्य भागों में मनाया जाता है।
3. मकर संक्रान्ति आम तौर पर हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। कभी-कभी यह त्यौहार 15 जनवरी को पड़ता है। यह त्यौहार उन कुछ चुने हुए भारतीय हिंदू त्यौहारों में से एक है जो निश्चित तिथि को मनाये जाते हैं।
4. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस त्यौहार को मनाया जाता है। इस त्यौहार के दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है।
5. मकर संक्रान्ति के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति भी प्रारम्भ होती है। इसलिये इस पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं।
6. सूर्य के उत्तरायण होने के बाद से देवों की ब्रह्म मुहूर्त उपासना का पुण्यकाल प्रारंभ हो जाता है। इस काल को ही परा-अपरा विद्या की प्राप्ति का काल कहा जाता है। इसे साधना का सिद्धिकाल भी कहा गया है।
7. पुराणों के अनुसार मकर संक्रान्ति के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर एक महीने के लिए जाते हैं, क्योंकि मकर राशि का स्वामी शनि है।
8. एक अन्य पुराण के अनुसार गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था। उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद इस दिन गंगा समुद्र में जाकर मिल गई थी। इसलिए मकर संक्रान्ति पर गंगा सागर में मेला लगता है।
9. मकर संक्रान्ति मुख्य रूप से 'दान का पर्व' है।
10. माघ मेले का पहला स्नान मकर संक्रान्ति से शुरू होकर शिवरात्रि के आखिरी स्नान तक चलता है। मकर संक्रान्ति के दिन स्नान के बाद दान देने की भी परम्परा है।
11. इसी दिन मलमास भी समाप्त होने तथा शुभ माह प्राम्भ होने के कारण लोग दान पुण्य से अच्छी शुरुआत करते हैं।
12. इस त्यौहार को अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। मकर संक्रान्ति को तमिलनाडु में 'पोंगल' के रूप में तो आंध्र प्रदेश, कर्नाटक व केरल में यह पर्व केवल 'संक्रान्ति' के नाम से जाना जाता है।
13. भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में इस त्यौहार को 'खिचड़ी' के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन खिचड़ी खाने एवं खिचड़ी दान देने का अत्यधिक महत्व होता है।