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Sunday, January 13, 2019

"कुम्भ मेले" के बारे में 15 रोचक तथ्य | 15 Interesting Facts about "Kumbh Mela" in Hindi


कुम्भ मेला के बारे में कई रोचक बातें हैं। उनमें से 15 रोचक बातें निम्नलिखित हैं:

1. कुम्भ मेले का पौराणिक इतिहास समुद्र मंथन से शुरू होता है। समुद्र मंथन से जब अमृत निकला तो उसे कुम्भ (घड़े) में रखा गया। उस कुम्भ को असुरों ने पहले ले लिया लेकिन भगवान विष्णु ने अमृत कलश असुरों से छीन लिया और भागते समय अमृत चार स्थानों पर गिरा, इसी कारण इन चारों स्थान पर कुम्भ मेले का आयोजन होता है।

2. कुम्भ मेला हिन्दुओं की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है जहां पवित्र नदी में डुबकी लगाने के लिए लाखों हिन्दू एक स्थान पर एकत्रित होते हैं।

3. पारम्परिक रूप से भारत में चार जगह पर कुम्भ मेलों का आयोजन होता है पहला प्रयाग कुम्भ मेला, दूसरा हरिद्वार कुम्भ मेला, तीसरा नासिक कुम्भ मेला और चौथा उज्जैन सिंहस्थ।

4. माघ माह में आयोजित होने वाले महा कुम्भ का आयोजन प्रयागराज में होता है। प्रयाग में हिंदू धर्म से तीन पावन नदियों का समावेश होता है, जिसमें गंगा, यमुना और सरस्वती एक साथ बहती हैं।

5. कुम्भ मेले को दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले की मान्यता मिली है। कुम्भ एक ऐसा मेला है जिसमें देश से ही नहीं विदेशी भक्तों की संख्या भी बहुत अधिक होती है। 


6. कुम्भ का प्रमुख आकर्षण साधु-संतों के 13 अखाड़े होते हैं। हालांकि अब इसमें दो अखाड़े और आ गए हैं। ये अखाड़े हैं- किन्नर अखाड़ा और महिला नागा साधुओं का अखाड़ा। 

 7. कुम्भ में आयोजनों में शोभायात्रा का महत्वपूर्ण स्थान है। ये शोभायात्रा दुनियाभर से आने वाले लोगों का स्वागत कर कुम्भ मेले के आयोजन को सूचित करने के लिए निकाली जाती है। शोभायात्रा में साधु-संत अपनी टोलियों के साथ बड़े धूम-धाम के साथ प्रदर्शन करते हुए कुम्भ में पहुँचते हैं।

8. मकर संक्रांति से हर दिन कुम्भ का पवित्र माना जाता है, पर कुछ तिथि बेहद ख़ास होती हैं। इन्ही तिथियों को स्नान को शाही स्नान या राजयोगी स्नान कहते हैं। अखाड़ों के शाही स्नान के बाद ही आम जनता को स्नान करने का मौका मिलता है। 

9. तकरीबन दो महीने तक चलने वाले कुम्भ महापर्व के दौरान स्नान की कुछ विशेष तिथियाँ सुनिश्चित हैं उनमें से प्रमुख हैं : मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा, महाशिवरात्रि।

10. प्रयागराज में हर साल माघ मेले का आयोजन किया जाता है, जो कि मकर संक्रांति के दिन से शुरू होकर महाशिवरात्रि तक रहता है। ठीक इसी तरह अर्ध कुम्भ का आयोजन 6 सालों में एक ही बार होता है। जिसके बाद महाकुंभ के आयोजन की मान्यता है जो 12 सालों में एक बार पड़ता है।

11. कुम्भ मेला में बनने वाले अस्थाई शहर से तकरीबन 70 लाख से अधिक लोगों को कमाई का अवसर मिलता है। यहां छोटे से बड़े हर तरह के व्यवसाय होते हैं। पूरे 50 दिन ही नहीं बल्कि इससे पहले और कुम्भ खत्म होने के बाद तक लोगों को रोजगार यहां मिलता है।

12. मान्यता है कि कुम्भ में स्नान करने से व्यक्ति के न केवल पाप खत्म होते हैं बल्कि उसे मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। देवलोक में जाने का रास्ता कुम्भ स्नान से जुड़ा है।

13. 2019 के कुम्भ मेले के लिए रेलवे ने करीब 700 करोड़ का निवेश किया है। कुम्भ के लिए 41 परियोजनाएं बनाई गयी हैं। इसके अलावा 800 विशेष ट्रेन प्रयागराज के लिए शुरू की गयी हैं।

14. इस बार 2019 में श्रद्धालुओं की सुविधाओं का ख्याल रखते हुए कुम्भ में पांच सितारा सुविधाओं से लैस टेंट सिटी भी बनाई गयी हैं इनमें श्रद्धालुओं को Wi-Fi एवं अन्य तकनीकी सुविधाएं भी मुहैया कराई जायेंगी। इन लग्जरी टेंट हाउस का किराया सुविधा के हिसाब से अलग-अलग है।

15. कुम्भ मेले को यूनेस्को (UNESCO) की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया है। 




  

Wednesday, December 14, 2016

"महात्मा बुद्ध" के बारे में 20 रोचक तथ्य | 20 Interesting Facts about "Mahatma Buddha" in Hindi

महात्मा बुद्ध के बारे में कई रोचक बातें हैं। उनमें से 20 रोचक बातें निम्नलिखित हैं:

1. महात्मा बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु के पास लुम्बिनी नामक स्थान में 563 ई.पू. में हुआ था।

2. महात्मा बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था।

3. उनके पिता शुद्धोधन शाक्य राज्य कपिलवस्तु के शासक थे। माता का नाम महामाया था जो देवदह की राजकुमारी थी।
 
4. महात्मा बुद्ध के जन्म के सातवें दिन माता महामाया का देहान्त हो गया था, अतः उनका पालन-पोषण उनकी मौसी व विमाता प्रजापति गौतमी ने किया था।

5. सिद्धार्थ बचपन से ही एकान्तप्रिय, मननशील एवं दयावान प्रवृत्ति के थे।

6. राजकुमारी यशोधरा के साथ सिद्धार्थ का विवाह जब हुआ तो वह मात्र 16 वर्ष के थे।
 
7. विवाह के कुछ वर्ष बाद एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम राहुल रखा गया।

8. समस्त राज्य में पुत्र जन्म की खुशियां मनाई जा रही थीं लेकिन सिद्धार्थ ने कहा कि आज उनके बन्धन की श्रृंखला में एक कड़ी और जुड़ गई।

9. यद्यपि उन्हे समस्त सुख प्राप्त थे, किन्तु शान्ति प्राप्त नही थी। अतः एक रात पुत्र व अपनी पत्नी को सोता हुआ छोड़कर गृह त्यागकर सिद्धार्थ ज्ञान की खोज में निकल पड़े।

10. सिद्धार्थ बिहार के गया नामक स्थान पर पहुँचे, वहां उन्होंने एक वट वृक्ष के नीचे समाधि लगायी और प्रतिज्ञा की कि जब तक ज्ञान प्राप्त नही होगा, वहां से नही हटेंगे।

11. सात दिन व सात रात समाधिस्थ रहने के उपरान्त आठवें दिन बैशाख पूर्णिमा के दिन उनको सच्चे ज्ञान की अनुभूति हुई।

12. इस घटना को “सम्बोधि” कहा गया। वे सिद्धार्थ से "बुद्ध" बन गए। जिस वट वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था उसे “बोधि वृक्ष” तथा गया को “बोध गया” कहा जाता है।

13. ज्ञान प्राप्ति के पश्चात महात्मा बुद्ध ने सर्वप्रथम सारनाथ (बनारस के निकट) में अपने पूर्व के पाँच सन्यासी साथियों को उपदेश दिये। इन शिष्यों को “पंचवगीर्य" कहा गया।

14. बौद्ध धर्म के उपदेशों का संकलन ब्राह्मण शिष्यों ने त्रिपिटकों के अंर्तगत किया। त्रिपिटक संख्या में तीन हैं- विनय पिटक, सुत्त पिटक, अभिधम्म पिटक

15. महात्मा बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की जो विश्व के प्रमुख धर्मों में से एक है।

16. विश्व के प्रसिद्द धर्म सुधारकों एवं दार्शनिकों में अग्रणी महात्मा बुद्ध के जीवन की घटनाओं का विवरण अनेक बौद्ध ग्रन्थ जैसे- ललित बिस्तर, बुद्धचरित, महावस्तु एवं सुत्तनिपात से ज्ञात होता है।

17. भगवान बुद्ध के उपदेशों एवं वचनों का प्रचार प्रसार सबसे ज्यादा सम्राट अशोक ने किया।

18. 483 ई.पू. में बैशाख पूर्णिमा के दिन महात्मा बुद्ध की अमृत आत्मा मानव शरीर को छोड़ कर ब्रहमाण्ड में लीन हो गई। इस घटना को "महापरिनिर्वाण" कहा जाता है।

19. भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण ये तीनों एक ही दिन अर्थात वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुए थे।

20. महात्मा बुद्ध के उपदेश आज भी देश-विदेश में जनमानस का मार्ग दर्शन कर रहे हैं।