गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर जी के बारे में कई रोचक बातें हैं। उनमें से 13 रोचक बातें निम्नलिखित हैं:
1. रबिन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ था।
2. उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर तथा माता का नाम शारदा देवी था। ये देवेन्द्रनाथ टैगोर के सबसे छोटे पुत्र थे।
3. रबिन्द्रनाथ टैगोर की शिक्षा अधिकाँश घर पर हुई थी। इनको वकालत पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेजा गया। वहाँ एक साल ठहरने के पश्चात वह भारत वापस आ गए। घर के शांतपूर्ण वातावरण में इन्होने बँगला भाषा में लिखने का कार्य आरम्भ कर दिया और शीघ्र ही प्रसिद्धि प्राप्त कर ली।
4. रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अनेक कवितायें, लघु कहानियाँ, उपन्यास, नाटक और निबंध लिखे। उनकी रचनाएं सर्वप्रिय हो गयीं।
5. साहित्य के क्षेत्र में उन्होंने अपूर्व योगदान दिया और उनकी रचना 'गीतांजलि' के लिए उन्हें साहित्य के 'नोबल पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया था।
2. उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर तथा माता का नाम शारदा देवी था। ये देवेन्द्रनाथ टैगोर के सबसे छोटे पुत्र थे।
3. रबिन्द्रनाथ टैगोर की शिक्षा अधिकाँश घर पर हुई थी। इनको वकालत पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेजा गया। वहाँ एक साल ठहरने के पश्चात वह भारत वापस आ गए। घर के शांतपूर्ण वातावरण में इन्होने बँगला भाषा में लिखने का कार्य आरम्भ कर दिया और शीघ्र ही प्रसिद्धि प्राप्त कर ली।
4. रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अनेक कवितायें, लघु कहानियाँ, उपन्यास, नाटक और निबंध लिखे। उनकी रचनाएं सर्वप्रिय हो गयीं।
5. साहित्य के क्षेत्र में उन्होंने अपूर्व योगदान दिया और उनकी रचना 'गीतांजलि' के लिए उन्हें साहित्य के 'नोबल पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया था।
6. टैगोर एक दार्शनिक, कलाकार और समाज-सुधारक भी थे। कलकत्ता के निकट इन्होने एक स्कूल स्थापित किया जो अब 'विश्व भारती' के नाम से प्रसिद्द है।
7. रबिन्द्रनाथ टैगोर ने साहित्य, शिक्षा, संगीत, कला, रंगमंच और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अनूठी प्रतिभा का परिचय दिया। अपने मानवतावादी दृष्टिकोण के कारण वह सही मायनों में विश्वकवि थे।
8. भारतीय संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ रूप से पश्चिमी देशों का परिचय और पश्चिमी देशों की संस्कृति से भारत का परिचय कराने में टैगोर की बड़ी भूमिका रही।
8. भारतीय संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ रूप से पश्चिमी देशों का परिचय और पश्चिमी देशों की संस्कृति से भारत का परिचय कराने में टैगोर की बड़ी भूमिका रही।
9. वे 'गुरुदेव' के नाम से लोकप्रिय हुए। गुरुदेव के काव्य के मानवतावाद ने उन्हें दुनिया भर में पहचान दिलाई।
10. रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, चीन सहित दर्जनों देशों की यात्राएँ की थी।
11. 7 अगस्त 1941 को देश की इस महान विभूति का देहावसान हो गया।
12. टैगोर दुनिया के अकेले ऐसे कवि हैं, जिनकी दो कृतियां, दो देशों की राष्ट्रगान बनीं। भारत का राष्ट्रगान 'जन गण मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता..' और बांग्लादेश का 'आमार सोनार बांग्ला...'।
13. नोबल पुरस्कार विजेता महान भारतीय कवि रबिन्द्रनाथ टैगोर की जन्म की वर्षगांठ को प्रत्येक वर्ष 'रबिन्द्रनाथ टैगोर जयंती' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कविगुरु के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किए जाते हैं और उन्हें सम्मान दिया जाता है।
11. 7 अगस्त 1941 को देश की इस महान विभूति का देहावसान हो गया।
12. टैगोर दुनिया के अकेले ऐसे कवि हैं, जिनकी दो कृतियां, दो देशों की राष्ट्रगान बनीं। भारत का राष्ट्रगान 'जन गण मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता..' और बांग्लादेश का 'आमार सोनार बांग्ला...'।
13. नोबल पुरस्कार विजेता महान भारतीय कवि रबिन्द्रनाथ टैगोर की जन्म की वर्षगांठ को प्रत्येक वर्ष 'रबिन्द्रनाथ टैगोर जयंती' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कविगुरु के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किए जाते हैं और उन्हें सम्मान दिया जाता है।